लेखनी प्रतियोगिता -01-Feb-2022 हमदर्द
पति पत्नी का रिश्ता ऐसा ,
जैसे दीपक और बाती ,
एक के बिन दूजे की ,
जिंदगी बेमानी हो जाती |
लड़ते झगड़ते हंसते मुस्कुराते,
जिंदगानी चले तो होती न परेशानी ,
आए कड़वाहट दोनों में तो ,
रिश्ता निभना होता बेमानी |
हमदर्द होते एक दूजे का ,
संबल बनते हैं दोनों ,
राह में आए कांटों को ,
मिलकर चुनते हैं दोनों |
हिय में बसते एक दूजे के ,
थामें हाथों में हाथ ,
करते मान मनुहार और सम्मान,
जो मिल जाए सच्चा साथ |
होता ये रिश्ता बड़ा ही अनमोल
विश्वास की डोर में न हो झोल,
टूटे तो लगे जैसे कच्चा धागा,
प्यार का इनके ना होता कोई मोल |
गाड़ी जैसे चले न पहियों बिन,
जिंदगी चले ना एक दूजे बिन ,
व्यवहार अलग मिजाज अलग होता दोनों का ,
पर दोनों ऐसे जैसे चांद न रहे चांदनी बिन ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Swati chourasia
01-Feb-2022 09:48 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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Shikha Arora
01-Feb-2022 11:36 PM
Thank u ji 🙏
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